IPC Sections List PDF In Hindi 2024 : भारत के संविधान में हर अपराध के लिए अलग अलग नियम बनाए हैं। किसी अपराध की स्थिति में अपराधी को की सजा दी जाए इसकी सम्पूर्ण जानकारी भारतीय दंड संहिता में व्याखित धाराओं में बताया गया है।
भारतीय दंड सहिंता के अनुसार किसी अपराध के स्थिति में धारा संख्या 109 से लेकर 511 तक धाराएं लगाई जा सकती है और ये धाराएं भी इस आधार पर तय होती है कि अपराधी ने क्या अपराध किया है।
भारतीय दंड संहिता ही यह तय करता है कि किसे अपराध माना जाएगा और फिर उस अपराध की क्या सजा होगी यह भी उसमें उल्लेखित है।आज के आर्टिकल IPC Sections List PDF In Hindi में हम अपराध से संबंधित सभी धाराओं के बारे मे विस्तार से जानेंगे।
IPC Sections List PDF In Hindi | कानूनी धारा सूची | IPC Sections List
1. अध्याय IV – सामान्य अपवाद :-
आईपीसी के अध्याय 4 में सामान्य अपवाद के तहत बचाव से संबंधित धाराओं का उल्लेख है। कानून सिर्फ अपराधी को सजा देने के लिए नहीं बना है बल्कि ऐसे लोगों को सजा से बचाता है जो अपराध करना तो नहीं चाहते थे लेकिन परिस्थिति के चलते उनके हाथों अपराध हो जाता है। आईपीसी के 76 से 106 खंड ऐसी परिस्थिति में फंसे व्यक्ति का बचाव करती हैं।
2. अध्याय V – अभियोग :-
यदि किसी अपराध में एक से अधिक व्यक्ति सम्मिलित है तो उनके अपराध को परिभाषित करने के लिए इन धाराओं की मदद ली जाती है। हमारे कानून में सिर्फ अपराध करने वाले को ही अपराधी नहीं माना जाता है बल्कि उस व्यक्ति को भी अपराधी माना जाता है जो किसी व्यक्ति को अपराध करने के लिए प्रेरित करता है।
यह कानून भारत में बहुत प्राचीन समय से प्रचलित है और हिंदू कानून में भी इसे जगह दी गई थी। बाद में जो संविधान बना उसने भी इस कानून को प्राथमिकता दी। अपहरण से संबंधित अपराध आईपीसी की धारा 107 , 120 के तहत आते हैं। इसमें धारा 108 बहकाने वाले को परिभाषित करने के लिए बनाई गई है, जबकि धारा 107 के तहत किसी चीज की अवहेलना को परिभाषित किया जाता है।
3. अध्याय VI – राज्य के खिलाफ अपराध :-
भारतीय दंड सहिंता में 121 से लेकर 130 तक की धाराएं राज्य के खिलाफ किसी भी अपराध को परिभाषित करते हैं। भारतीय दंड संहिता ने 1860 में राज्य के अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए और उसको संरक्षण देने के लिए कई तरह के प्रावधान बनाए थे।
इन्ही प्रावधानों के तहत यदि किसी भी व्यक्ति की संलिप्तता राज्य के खिलाफ किसी अपराध में पाई जाती है तो उसे आजीवन कारावास, मौत की सजा और कठोर जुर्माने की सजा भी दी जा सकती है। इसमें युद्ध छेड़ने युद्ध के लिए हथियार इकट्ठा करने और राजद्रोह जैसे अपराधों को सम्मिलित किया गया है।
4. अध्याय VIII- सार्वजनिक अत्याचार के खिलाफ अपराध :-
समाज के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है कि समाज में शांति हो। इसीलिए शांति को स्थापित करने के लिए सहिंता निर्माताओं ने कुछ ऐसे प्रावधान बनाए जो सार्वजनिक शांति के खिलाफ होने वाले अपराधों की व्याख्या करते है। धारा 144 से लेकर धारा 160 इन अपराधों को परिभाषित करते हैं। इसमें एक गैर कानूनी विधानसभा, दंगे भड़काने के साथ अन्य वह घटनाएँ भी शामिल है जिससे समाज की शांति भंग होती है।
5. अध्याय XII –सिक्के और सरकारी टिकटों से संबंधित अपराध:-
देश में नकली सिक्के बेचना उन्हें बनाना और उनका आयात – निर्यात करना इसके साथ ही नकली मोहर बनाना, उन्हें बेचना या खरीदना आईपीसी की धारा 230 सेल 263A के तहत एक अपराध की श्रेणी में आता है। यदि कोई भी व्यक्ति ऐसे अपराध में संलिप्त पाया जाता है तो उसे इन धाराओं के तहत सजा दी जाती है।
6. अध्याय XIV – सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा, रखरखाव, शालीनता और नैतिकता को प्रभावित करने वाले अपराध :-
इस अपराध की श्रेणी में वह व्यक्ति आते हैं जो जहरीले पदार्थ के रख रखाव में किसी भी प्रकार की लापरवाही, ड्रग्स को बेचना, अश्लील किताबों को बेचना खाद्य एवं पेय पदार्थों में किसी भी तरह की मिलावट आदि शामिल है। इन अपराधियों को धारा 230 से 263A के तहत सजा दी जाती है।
किस अध्याय में उन अपराधों की व्याख्या की गई है जो मानव जो मानव शरीर को क्षति पहुंचाने से संबंधित है। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी व्यक्ति को चोट पहुंचाने की कोशिश करता है तो ऐसी स्थिति में उसे 10 वर्ष कैद के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इसमें गंभीर नुकसान से लेकर यौन अपराध, हमला इत्यादि को शामिल किया गया है इस अपराध में सजा को व्याखित करने के लिए धारा 299 से 311 दी गई है।
8. अध्याय XVIII – दस्तावेजों और संपत्ति के नुकसान से संबंधित अपराध:-
भारतीय दंड संहिता में कुछ ऐसी धाराएं भी दी गई है जिसके तहत किसी व्यक्ति को दस्तावेज या किसी के संपत्ति को हानि पहुंचाने पर सजा हो सकती है इसके लिए धारा 463 से 489 ई. बनाई गई है।
9. अध्याय XX – विवाह से संबंधित अपराध और अध्याय XXA- पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता:-
धारा 493 से 498A विवाह से संबंधित सभी अपराधों की व्याख्या करते हैं। धारा 494 के तहत पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी करना अपराध है। धारा 493 के तहत अपने पति और पत्नी के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति से धोखे से सहवास करना भी अपराध है। धारा 498 ए पति द्वारा या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के साथ क्रूरता से पेश आने से संबंधित है।
10. अध्याय XXI – मानहानि:-
धारा 499 से 502 तक मानहानि की व्याख्या करती है। मानहानि को एक आपराधिक कृत्य भी माना जाता है और एक कानूनी कृति भी माना जाता है। धारा 499 इस अपराध की आपराधिक प्रकृति को परिभाषित करती है जबकि धारा 500 इस अपराध से संबंधित सजा की व्याख्या करती है।
11. अध्याय XXII –आपराधिक धमकी अपमान से संबंधित अपराध:-
आपराधिक धमकी और अपमान से संबंधित धाराओं की व्याख्या 503 से 510 तक की गई है। धारा 503 आपराधिक धमकी के बारे में बताता है, जबकि सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से यदि कोई अपमान किया जाता है तो उसमें जो सजा निर्धारित की गई है उसकी व्याख्या धारा 504 करता है।
धारा 505 के तहत सार्वजनिक दुर्व्यवहार वाले बयानों के सजा की व्याख्या करता है। वही आपराधिक धमकी की सजा धारा 506 के तहत तय की जाती है। धारा 510 व्याख्या करती है एक शराबी व्यक्ति की जो शराब के नशे में सार्वजनिक स्थल पर कोई दुराचार करता है।
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