RICE PRICE – भारत सरकार की ओर से चावल के निर्यात पर आज बड़ा फैसला लिया गया है , दरअसल सरकार की ओर से बासमती चावल के निर्यात पर संपूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने के लिए बड़ा ऐलान किया गया है , हालांकि अगर देखा जाए तो भारत में बड़े पैमाने पर बासमती चावल का निर्यात किया जाता है ।
खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान :-
गैर बासमती चावल के निर्यात को लेकर खाद्य मंत्रालय ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने बताया कि बासमती चावल या फिर किसी प्रकार के भी उसना चावल के निर्यात में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है कि केवल गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है ।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की एक अधिसूचना के अनुसार ऐसा कहा गया है कि गैर बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूरी तरह से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) को निर्यात नीति से पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है ।
वही मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया कि घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गैर बासमती चावल के निर्यात नीति में संशोधन का फैसला लिया गया है और इस फैसले का सीधा उद्देश्य आगामी त्योहारों में घरेलू उपलब्धता को कम कीमतों में पूरा करना है ।
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चावल की कीमतों में हो रही है बढ़ोतरी :-
मंत्रालय द्वारा जारी किए गए बयान में यह बताया गया कि चावल की घरेलू कीमतें बढ़ रही हैं , वहीं पिछले साल के मुताबिक इस साल में चावल की कीमतें 11.5% और तीन महीने में 3% की वृद्धि हुई है ।
चावल की कीमतों में कटौती का फैसला :-
आम आदमी के लिए घरेलू बाजार में गैर बासमती सफेद चावल की पर्याप्त उपलब्धता को सुनिश्चित करने एवं स्थानीय क्षेत्रों में बढ़ते चावल की कीमत को कम करने के लिए सरकार ने तत्काल बासमती चावल के निर्यात नीति पर संशोधन करते हुए 20% के निर्यात शुल्क को निषेध और प्रतिबंधित कर दिया है ।
किन देशों को करता है भारत चावल निर्यात :-
अगर भारत के चावल निर्यात की बात की जाए तो भारत से गैर बासमती चावल कुल निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में 42 लाख डॉलर हुआ था परंतु अगर पिछले वर्ष के आंकड़ों को देखा जाए तो 26.2 लाख डॉलर का था , भारत के गैर बासमती चावल निर्यात के प्रमुख देश थाईलैंड, स्पेन, इटली और श्रीलंका एवं संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल है ।
चावल निर्यात में बढ़ रही है तेजी :-
खाद्य मंत्रालय की ओर से बताया गया की भारत देश में चावल निर्यात में बढ़ रही इस तेजी का कारण भू-राजनीतिक परिदृश्य, अल-नीनो धारणा और अन्य चावल उत्पादक देशों में विषम जलवायु परिस्थितियां और अन्य कई कारण है , वहीं अगर निर्यात के प्रभाव की बात की जाए तो निर्यात में प्रतिबंध लगाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय देशों में चावल के दामों में वृद्धि हो सकती और भारत देश में चावल की कीमतों में कुछ कटौती नजर आएगी ।