पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल ने 1 मिलियन से अधिक आबादी वाले शहरों में 2027 तक डीजल से चलने वाले सभी चार पहिया वाहनों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने और इसके बजाय इलेक्ट्रिक और गैस-ईंधन वाले वाहनों को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा गया है।
देश में बढ़ते प्रदूषण का स्तर को देखते हुए सरकार बहुत सख्त नियम बना रही है। सरकार ने यह फैसला किया है कि भारत के अंदर 1 मिलियन से अधिक आबादी वाले शहरों के अंदर डीजल से चलने वाले सभी चार पहिया वाहनों 2027 तक पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
और डीजल से चलने वाले वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहन और प्राकृतिक गैस से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा जो कि पर्यावरण के लिए काफी कारगर होगा। अगर सरकार सच में ऐसा फैसला लेती है तो जितने भी डीजल से चलने वाले वाहन हैं उनका क्या होगा, और इसकी वजह से वाहन मालिकों पर क्या असर पड़ेगा और कितना नुकसान होगा, वाहन कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसका, आइए जान लेते हैं,
लोगों पर क्या पड़ेगा असर?
जैसा कि सरकार की तरफ से पर्यावरण को देखते हुए हैं यह आदेश जारी हुआ है कि डीजल से चलने वाली सभी चार पहिया वाहनों को जल्द से जल्द बंद किया जा सकता है। जितने भी बड़े-बड़े शहर है जिसमें लोगों की आबादी 1 मिलियन से अधिक वहां जल्द से जल्द 4 सालों के भीतर वर्ष 2027 तक प्रतिबंध लागू कर दिया जाएगा। ऐसे में डीजल से चलने वाले सभी वाहन एकदम से बंद होने पर लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा।
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अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?
जब एकदम से काफी भारी मात्रा में सभी 4 पहिए वाहनों को बंद कर दिया जाएगा तो इससे अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है, वाहन बनाने वाली सभी बड़ी से बड़ी कंपनियां अचानक से बंद हो सकती है, ऐसा होने पर कंपनी के अंदर जितने भी काम कर रहे वर्कर है, उन पर काफी प्रभाव देखने को मिलेगा, सीधा-सीधा उनकी जेब पर असर पड़ेगा, और बड़ी-बड़ी कंपनियों में रोजगार मिलना बंद हो सकते हैं और ऐसे में देश के युवाओं पर काफी प्रभाव पड़ेगा। और फिलहाल अभी कुछ लोग ज्यादा माइलेज की वजह से नई-नई कारे खरीद रहे है। ऐसे में सरकार द्वारा एकदम से प्रतिबंध लगने पर बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
कंपनियों का होगा भारी नुकसान
देश में कई वाहन निर्माता कंपनीया अभी भी मार्केट के अंदर डीजल वाहनों की उत्पादन कर रही है। अगर सरकार सरकार द्वारा अचानक से प्रतिबंध का फैसला लिया जाएगा। तो उन सभी कंपनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ऐसी परिस्थिति में वाहन मालिकों और सभी निर्माताओं कंपनियों तैयार रहना चाहिए। और साथ मिलकर कुछ नया विकल्प तलाशने की कोशिश करना चाहिए।
क्या वाहनों पर प्रतिबंध लगाने से पर्यावरण में सुधार आएगा?
देश में बढ़ रहे दिन प्रतिदिन ग्लोबल वार्मिंग को देखते हुए पूरे विश्व की सरकारें नए नए नियम बनाती रहती है, ऐसे ही भारत सरकार ने पर्यावरण को देखते हुए कुछ नए नियम बनाए हैं, जैसे कि डीजल से चलने वाले सभी वाहनों पर वर्ष 2027 तक पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना। हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से प्रयास किया है कि शायद इससे पर्यावरण में कुछ सुधार आएगा, क्योंकि डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन वातावरण में काफी प्रदूषण फैलाते हैं, हमारा मानना है सरकार के इस नियम से ज्यादा कुछ बदलाव नहीं आएगा,क्योंकि सिर्फ वाहनों को बंद कर देना ही समस्या का समाधान नहीं है।
जब तक हर नागरिक जागरूक ना हो तब तक पृथ्वी पर पर्यावरण में सुधार नहीं आ सकता वाहनों के साथ साथ बड़ी बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां जोकि बहुत सारा प्रदूषण फैलाती है उनको भी बंद करना पड़ेगा, सिर्फ वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर हम पर्यावरण को साफ सुथरा नहीं रख सकते हैं इसके लिए और भी नए-नए कदम उठाने पड़ेंगे, लेकिन डीजल और पेट्रोल से चलने वाली वाहनों पर प्रतिबंध लगाकर थोड़ा बहुत सुधार ला सकते हैं।